Har din kuch naya sikhe

बालोतरा क्षेत्र के नयापुरा, जसोल में जगतगुरु  तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का एक दिवसीय LED के माध्यम से सत्संग समागम हुआ। सत्संग समागम मे संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्मो के पवित्र शास्त्रो मे प्रमाण देते हुए बताया कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है जो सतलोक मे राजा के समान दर्शनीय है। पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3तथा परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं इसका प्रमाण पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है।
 संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं। सत्संग समागम मे दहेज ना लेने नशामुक्त व समाज सुधार का संदेश दिया गया। इस कार्यक्रम मे सैकड़ो श्रध्दालुओ ने भाग लिया। सत्संग मे  श्रवणदास, महेन्द्रदास, नारायणदास, मानादास आदि सेवादार उपस्थित रहे।

मेरी उससे अच्छी दोस्ती थी।

हाथरस- उत्तरप्रदेश के हाथरस के बुलगढ़ी गांव में 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप और उसकी मौत के मामले में गुरुवार सुबह नया मौड़ सामने आया है। मुख्य आरोपी संदीप ने 7 अक्टूबर को जेल से हाथरस एसपी को पत्र लिखा, जो आज सुबह सामने आया। पत्र में मुख्य आरोपी संदीप ने खुद को और तीन अन्य आरोपियों को बेकसूर बताते हुए पीड़ित की भाई और उसकी माँ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

मुख्य आरोपी संदीप ने कहा, 'लड़की से उसकी दोस्ती थी। ये बात पीड़िता के परिवार को पसंद नहीं थी। घटना वाले दिन मैं मौके पर था, लेकिन मुझे लड़की की मां और भाई ने घर भेज दिया था। बाद में मुझे आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया। लड़की के साथ उसकी मां और भाई ने ही मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई।'

 संदीप ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। लेटर पर अन्य आरोपी रवि, रामू और लवकुश ने नाम
लिखा और अंगूठा लगाया है।
पत्र में संदीप ने लिखा- हमें न्याय दिलाओ एसपी साहब

पत्र में संदीप ने लिखा, "मुझे 20 सितंबर को झूठे मुकदमे में जेल भेजा गया है। मुझ पर आरोप लगाया कि गांव की लड़की के साथ गलत काम और मारपीट की गई थी, जिसकी बाद में गौत हो गई। इस झूठे केस में अलग-अलग दिनों में गांव के तीन अन्य लोगों लवकुश, रवि और रामू को जेल भेजा गया। वे मेरे रिश्ते में चाचा है। पीड़ित गांव की अच्छी लड़की थी, उनसे मेरी दोस्ती थी। मुलाकात के साथ मेरी और उसकी कभी-कभी फोन पर भी बात होती थी, लेकिन हमारी दोस्ती उसके परिवार वालों को पसंद नहीं थी।"

"घटना के दिन उसकी और मेरी खेत पर मुलाकात हुई
थी। उसके साथ मां और भाई भी थे। उनके कहने पर मैं
अपने घर चला गया और पिताजी के साथ पशुओं को पानी पिलाने लगा। बाद में मुझे गांव वालों से पता चला कि मेरी दोस्ती जो लेकर लड़की को उसकी मां और भाई ने मारा-पीटा था, जिससे उसे गंभीर चोटें आई, जिससे बाद में वह मर गई। मैने कभी पीड़िता के साथ मारपीट और गलत काम नहीं किया। मामले में लड़की की मां और भाई ने मुझे और तीन अन्य लोगों को झूठे आरोप में फंसाकर जेल भिजवा दिया। हम सभी लोग निर्दोष हैं। कृपया, मामले की जांच कराकर हमें न्याय दिलाने की कृपा करें।"


जेल में हैं जान का खतरा- आरोपियों के परिजन ने जेल में बंद अपने लड़कों की जान को खतरा बताया। आरोपियों के परिजनों का कहना है कि हमारे बच्चे जेल में सुरक्षित नहीं हैं। आरोपी रामू की भाभी ने कहा कि जेल में नेता मिलने जा रहे हैं। कहा जाता है कि जेल में सुरक्षा होती है, लेकिन मेरे बच्चों को जेल में खतरा है।

रिपोर्ट:- राणा राम भाटिया


पचपदरा में निर्माणाधीन राजस्थान रिफाइनरी के गेट नंबर चार के नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग 125 पर शुक्रवार शाम हुए हादसे में दो सगे भाईयों की मौत है। साजियाली रूपजी राजावेरी निवासी बाइक सवार दोनों भाईयों की बाइक को सामने से तेज रफ्तार में आ रहे एक सीमेंट के ट्रक ने टक्कर मार दी। टक्कर के उपरांत दोनों भाई उछल कर नीचे गिर गए और ट्रक के नीचे आ गए।दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। मौके पर पहुंची पचपदरा पुलिस ने शव को मोरारी भीजवाकर ट्रक को जब्त किया। मृतकों की शिनाख्त मालाराम पुत्र जेठाराम उम्र 45वर्ष तथा हुकमाराम पुत्र जेठाराम उम्र 60 निवासी साजियाली रूपजी राजाबेरी के रूप में हुई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर फरार ट्रक चालक की जांच शुरू कर दी है।

मशहूर शायर राहत इंदौरी का आज शाम दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। 70 वर्षीय राहत इंदौरी कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हे इंदौर के अरविंदो अस्पताल में 10 अगस्त की देर रात भर्ती कराया गया था। राहत इंदौरी के बेटे सतलज ने इस बात की जानकारी दी थी, बाद में खुद भी राहत इंदौरी ने इस बारे में ट्वीट किया था।

मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन से देश भर के शायरों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके बारे में कहा जाता है कि बड़ा शायर वो है जो शेर बतौर शायर नहीं बल्कि बतौर आशिक कहे। जब लोग राहत इंदौरी साहब को सुनते हैं या पढ़ते हैं तो उन्हे एक ऐसा शायर नज़र आता है जो अपना हर शेर बतौर आशिक कहता है। वह आशिक जिसे अपने अदब के दम पर आज के हिन्दुस्तान में अवाम की बेपनाह महबूबियत हासिल है‌। शायरी को लेकर ग़ालिब, मीर, ज़ौक, फैज़. इक़बाल आदि मुतालिए (अध्यन) के विषय हैं और हमेशा रहेंगे। इनके मुतालिए के बिना तो शेर शुद्ध लिखना और ग़ज़ल समझना भी दूर की बात है लेकिन ग़ालिब, मीर, ज़ौक, फैज़ और इक़बाल जैसे बड़े शोअराओं के अलावा आज हिन्दी-उर्दू का कैनवस इतना बड़ा सिर्फ इसलिए है क्योंकि अदब की मशाल राहत इंदौरी जैसे शायर के हाथ में है।
मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर शायर मुनव्वर राना, कवि कुमार विश्वास एवं देश भर के साहित्यकारों, कवियों, शायरों व राजनीतिक नेताओं ने गहरा दु:ख व्यक्त किया है। (11 अगस्त 2020)


   मृत्युभोज जैसी कुरीति को मात्र सामाजिक बुराई मानकर टालना जायज नहीं है।यह एक आर्थिक बर्बादी का बहुत बड़ा कारण है।गरीब परिवारों की तीन-तीन पीढियां इससे बर्बादी की कगार पर पहुंच जाती है।मृत्युभोज के खर्चे से बच्चों के अरमानों,मां-बाप के सपनों का कत्ल हो जाता है।जब एक पीढ़ी शिक्षा से वंचित हो जाती है तो उसका खामियाजा अगली तीन पीढ़ी भुगतती है।एक बड़ा तरक्की का जनरेशन गैप हो जाता है।

मृत्युभोज का खर्च बाकी बुनियादी जरूरतों पर होने वाले खर्च पर पाबंदियां लगा देता है।बुजुर्गों के इलाज में कोताही का कारण बन जाता है।जब कोई बुजुर्ग बीमार होता है और इलाज का बजट सामने आता है तो परिवार वालों के सामने सबसे पहले बड़ा संकट यही उभरकर सामने आता है कि इलाज पर पैसे खर्च करें व अगर नहीं बच पाया तो फिर मृत्युभोज के खर्च का इंतजाम कहाँ से होगा?ऐसे में मन मारकर परिवार वाले न्यूनतम खर्चे में इलाज करवाने का दिखावा मात्र करने को मजबूर हो जाते है।

यह कोई सांस्कृतिक विरासत नहीं है और न धार्मिक रीति-रिवाज।यह पाखंड व बाजारवाद का गैर-मानवीय संगम है जो इंसानियत का कत्ल करके धंधे का स्वरूप लिए हुए है।एक परिवार की बर्बादी पर व्यापार होता है।रूसो ने कहा था "इंसान इतना भी अमीर नहीं होना चाहिए कि वह दूसरे इंसान को खरीद सके और इतना भी गरीब नहीं होना चाहिए कि खुद को बेचने के लिये मजबूर हो।"यहां सामाजिक बंधन या अनिवार्यता बताकर मानसिक दबाव के तहत इंसान को इतना मजबूर कर दिया जाता है कि वह खुद को बिकाऊ समझ बैठता है और चंद लोग अपने हिसाब से उसकी कीमत तय कर देते है।

मैं इस बर्बादी की गाथा पर कई लेख लिख चुका हूँ।आज लिखने का कारण है कि तमाम मूढ़ बनी परंपरा के पीछे खड़े बेगैरत लोगों के बीच भी इंसानियत को जिंदा करने की एक खबर सामने आई है।समाज के गय्यूर नौजवानों व इज्जतदार बुजुर्गों ने एक नया चिराग दिखाया है।

मृत्युभोज जैसी विकराल कुरीति के पर कोरोना ने कतरकर सीमित कर दिए है और हमारा थोड़ा सा प्रयास इसको विदाई दे सकता है।उम्मीद की जानी चाहिए कि इस कुरीति के खिलाफ जिन जागरूक समाज बंधुओं ने जागृति की अलख जगाई वो रंग लाने लगी है।हमारे से पहले भी जागरूक बुजुर्गों ने कई प्रयास किये।हम भी पूर्ण पाबंदी की मुहिम चला रहे है और कई युवा लोग आगे आकर विभिन्न इलाकों में प्रयास कर रहे है।एक सामूहिक व सतत प्रयास जल्द ही इस बुराई से मुक्ति की राह दिखायेगा।

याद रखियेगा कोरोना के बाद भयंकर आर्थिक मंदी उभरकर सामने आएगी और हमारे सामने भूख सबसे बड़ा मुद्दा होगा।इसलिए ऐसी गैर जरूरी कुप्रथाओं पर अभी लगाम लगा दोगे तो बचने के बेहतर अवसर उपलब्ध रह जाएंगे।पढ़े-लिखे हम जागरूक युवाओं का दायित्व बनता है कि इस संकट की घड़ी में हालातों को भांपते हुए समझाइश करें व इस सामाजिक कलंक से पीछा छुड़ाएं।

प्रेमाराम सियाग

हीराराम सेजू

बहन- भाई का बंधन रक्षाबंधन (कलाई) से एक दिन पहले ही बहन को ससुराल वालो ने उतारा मौत के घाट

पचपदरा :- स्थानीय कस्बे के सरवड़ी गांव के पिहर पक्ष से हत्या का मामला दर्ज करवाया। सरवड़ी के मांगीलाल देवपाल की पुत्री ललिता का विवाह डेढ वर्ष पूर्व असाड़ा गांव में भीमाराम पुत्र हीराराम मेघवाल के साथ हुआ था । पिहर पक्ष से भाई खेताराम ने बताया कि विवाह के बाद  उसके बात ससुराल पक्ष से पति,सास,ससुर, देवर,नणदे उसे शारिरिक व मानसिक रुप से दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे । ससुराल वाले उसे दहेज के लिए तंग, परेशान व मारपीट करते थे। कई बार समझाईश करने के बाद भी नही माने । उसके बाद कल दिनांक 1.8.2020 को पिता मांगीलाल के पास फोन आया कि आपकी बेटी ललिता की तबीयत खराब है। खेताराम ने बताया कि जब मे आसाडा गया तो देखा कि मेरी बहन ललिता के शरीर पर जगह जगह गले,पीठ, मुंह, कंधा,पर चोटो के निशान थे। व नाक से खुन बह रहा था, एवं मुहं से झांग निकल रहा था। तब खेताराम ने ससुराल से पुछताछ की तो उन्होंने मुझे कुछ नही बताया। तब मुझे हत्या का शक हुआ तो इधर उधर पुछताछ करने पर बताया कि रात्री को घर पर झगड़ा हुआ था तो ससुराल वालो ने ललिता के साथ मारपीट कर खत्म कर दिया।

बालोतरा | जन जागृति ग्रामीण विकास एवं शिक्षण सेवा संस्थान के आह्वान पर सोशल डिस्टेंस के निर्देशों का पालन करते हुए रक्षाबंधन के पर्व पर भाई और बहनों ने एक दूसरे को राखी तथा  मास्क बांधते हुए शुभकामनाएं दी । संस्थान के सचिव भंवरलाल राणावत ने बताया कि संस्था ने रक्षाबंधन के पर्व पर कोरोना के बचाव के  लिए सोशल मीडिया से  आह्वान पर भाई और  बहनों ने एक दूसरे को मास्क पहनाकर  बिठूजा, बालोतरा , जेठंतरी,  बामसीन,पाली, उदयपुर आदि गांव एवं शहर  में रक्षाबंधन पर्व मनाया । 
संस्था ने स्वयं ने बामसीन  गांव में एक कार्यक्रम आयोजित कर भाई और बहनों को मास्क वितरित करते हुए रक्षाबंधन पर्व मनाया । इस अवसर पर  समाजसेवी पोकर राम राणावत, मांगीलाल पारंगी जलदाय विभाग, भूराराम आयकर विभाग, टीना, भंवरलाल राणावत अध्यापक,नवाराम ठेकेदार  आदि उपस्थित रहे । 
बहन गीता सोलंकी ने कहा भारत में फैला कोरोना जैसी महामारी के बचाव के लिए सभी सोश्यल डिस्टेंस का पालन करें तथा  मास्क पहनकर अति आवश्यक काम होने पर ही घर से बाहर निकले । 
उदयपुर में कार्यरत मेल नर्स नरपत सोलंकी और महावीर बाघमार ने कहा कि  घबराइए नहीं , डरने की बजाय हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से कर आप कोरोना के संक्रमण से अपना बचाव कर सकते हैं।

E-Maruwani

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