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दिनांक 10 मई, वह दिन जिस दिन भारत समेत दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस मनाया जाता है। सब अपनी माँ की छवि के साथ एक दूसरे को सोशर्मा मीडिया पर मातृदिवस की बधाई, शुभकामनाएं दे रहे है। जैसे मानो सारा प्यार आज ही लुटा लेंगे।
माँ की व्याख्या करने की शक्ति मेरी कलम में नहीं है क्योंकि माँ को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। इस अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस पर माँ द्वारा प्रदत्त अनुभवों से मैंने भी लिखने की कोशिश की है, जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।

माँ एक ऐसा शब्द जिसके समान शायद ही दुनिया में कोई और नाम होगा। यह एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर दिल को सुकून सा मिल जाता है। माँ बच्चे की पहली गुरु होती है जो अपने बच्चों के जीवन को सजग-सफल बनाने के लिए अपना पूरा जीवन झोंक देती है। हमें जन्म देने वाली माँ ही हमारे हर सुख-दुःख में हमारे साथ खङी रहती है। वह हमें कभी यह अहसास नहीं दिलाती कि हम अकेले है। हर मुश्किल दौर में माँ हमेशा हमारा साथ देती है।

मेरी माँ का मेरे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। वह मेरी प्रारम्भिक शिक्षक, अभिप्रेरक है। माँ ही आत्मविश्वास को मजबूत बनाती है। मैं आज जिस स्थिति में हूँ वह मेरी माँ की बदौलत हूँ। मेरी माँ मेरे बुरे व अच्छे वक्त में हमेशा मेरे साथ रहती है।

माँ परमात्मा का दूसरा रूप है क्योंकि परमात्मा सभी जगह हमारी मदद के लिए नहीं हो सकता इसलिए परमात्मा ने हमारी मदद के लिए माँ को बनाया है। इसलिए माँ से बङा परोपकारी और दयालु आज दिन तक कोई नहीं हुआ है और न ही आगे होगा।

मेरी माँ के द्वारा बताई गई छोटी-बङी बातें ही विपदा में मेरा साथ देती है और हिम्मत बंधाती है कि तू अकेला नहीं है। माँ हमेशा हमारे जीवन को उज्ज्वल बनाने के उद्देश्य से हमें अच्छी शिक्षाएं देती रहती है। इसी प्रकार हमारे जीवन को आदर्श बनाने में उसका बहुत बङा योगदान है।

माँ हमेशा हमें बुरे कार्यो में नहीं फंसने की सलाह देती है। भले ही मेरी माँ अनपढ़ है लेकिन जिंदगी जीने की जो बाते उनसे मैंने प्राप्त की है, वह किसी इंजीनियर या प्रोफेसर के तर्क-वितरकों से कम नहीं है।


मेरी माँ ने मेरे जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है। माँ की मेहनत, साहस और निस्वार्थ भाव ने मुझे सदा ही प्रेरित किया है।

राणा राम भाटिया की कलम से

       "एक मई, दोपहर का समय बाड़मेर की चौड़ी साफ सडक, एक दम सीधी सड़क हल्की बल खाए जैसे कालीनागिन। सडक पर  दूर-दूर तक ऐसा लग रहा है मानो पानी की छोटी-छोटी तलैया बनी हो। पानी ,ओहो!.. यहां पानी कितना पवित्र और अमूल्य हो जाता है। जो  नाजुक स्थिति में होते हुए भी यहाँ जीवन को बनाए हुए है। थार के रेतीले धोरों में टांको में संचित,जीवन रस,बारिश का मीठा पानी। दूसरी तरफ रोहिड़़ा, खेजड़ी, नीम, इस पारिस्थितिक रंगमंच के अमर चरित्र है। तपती रेत के गर्भ से खारे जल को सींच कर अपने अस्तित्व को बनाए हुए है। रोहिडा़ का  पुष्प,आग उगलते सूरज की चुनौती को स्वीकार किया गया हो और प्रतिउत्तर में ये केसरिया फूल बड़ी सौम्यता से अपनी भूमिका निभा रहा है। खेजड़ी और थार का सम्बन्ध प्रेम कहानी जैसा ही है।..  जहा तपन है, छांह है, नेह है, चुभन है, कोमल स्पर्श है। थार के धोरे में विरही प्रेमिका सी अकेली खड़ी खेजड़ी, माता सीता सी पावन,पवित्र,अशोक वाटिका में व्याकुल, जो जीवन की विपरीत स्थिति में भी हृदय में प्रेम रस बचाए है। यहाँ नीम जहाँ-जहाँ है ,वहां ढाणियां बसी है। नीम की ठंडी छाया यह अहसास करवा ही देती है की कभी इस तपती रेतीली धरा पर विशाल सागर हिलोरे भरता रहा था 
           इसी क्रम में मोर के इन धोरो में सहज दर्शन आश्चर्य में डाल देते है। भारत के मानसूनी हिस्सों में तो मोर और मोरनी हमेशा मादकता के प्रतीक रहे है पर इस तपती धरा पर इन्हें देख कर आप भाव विभोर हो जाएँगे।    मोरिया आछ्यो बोल्यो रे ढ़लती रात म .......गीत,  आज से पहले कितना हल्का लगता था। थार के इस भाग में जब दिन किसी योगी की धूनी बने हुए होते है, तो रात का माहौल ख़ुशनुमा,सुहावना-सा  हो जाता है। ठंडी रेत पर यौवन से बोझिल युवती सी अठखेलियाँ करती ठंडी हवा, उस पर तारो भरे आकाश से हवा में नशा घोलता चाँद ..सुन्दर, सौम्य, शालीन, शीतल का अद्भुत मिश्रण है|
             इस दृश्य में अगर  विरही ,व्याकुल ,रसिक ,मोर की आवाज आवाज आएगी, तो हिवडे में कटार लगना तो लाजिम है अपनी  ढाणी में अकेली अपने प्रेमी के  विरह में करवटे बदल रही युवती जब इस मोर के करुण स्वर को सुनेगी तो आंसू नहीं  रुक पाएँगी। वहीं धोरो को लहर सा पार कर यह स्वर, जब बांहों के पाश में बंधे युगल जोड़ो के कानो को छुएंगे, तो दृश्य भाव मधुबन में कन्हैया के रासलीला से कम ना होगा। ढ़लती रात में मतवाले मोर का स्वर कितना करुण, कितना कामुक, मादकता का चरम  अहसास। वहीं  'गौने' की बाट जो रहे युवक के झोंपे के पास बैठा मोर, जो युवक की दशा से समानता भी रखता है। वह स्वर अलापता है तो यूँ लगता है मानो सामन्ती युग के दाता हुकुम से प्रियसी ने नयनों का रसपान कराते हुए निवेदन किया हो, "अन्नदाता पीओ तो दारू दाखा रो..."

शेष अगले भाग में................ मनीष राज मेघवंशी

बयाना, भरतपुर | पूरे देश में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते हुए प्रकोप के बीच भरतपुर जिले का बयाना कस्बा इस महामारी पर प्रभावी नियंत्रण का नया मॉडल बनकर उभरा है। कस्बे में अब तक मिले 99 कोविड-19 संक्रमित मरीजों में से 96 रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं तथा उम्मीद है कि शेष 3 रोगी भी शीघ्र स्वस्थ हो जायेंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि बयाना के एक भी कोरोना वायरस संक्रमित रोगी की मृत्यु नहीं हुई है। 
 
बयाना को महामारी विस्फोट की स्थिति से सफलतापूर्वक निकालने का श्रेय जिला कलक्टर श्री नथमल डिडेल के नेतृत्व में पुलिस, प्रशासन, चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनती और ऊर्जावान टीम को जाता है, जिसने मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत एवं समय-समय पर राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों की अक्षरशः पालना सुनिश्चित की।
 
तत्काल कांटेक्ट ट्रेसिंग
7 अपे्रल को बयाना में कोविड-19 संक्रमण के पहले तीन पॉजिटिव मिलते ही जिला प्रशासन ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए बिना समय गंवाये रोगियों की कांटेेक्ट ट्रेसिंग करवाई और सभी सम्भावित संदिग्धों को क्वारेंटाईन किया। जिन-जिन रोगियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी उन्हें तत्काल एसएमएस अस्पताल जयपुर तथा 13 अपे्रल के बाद मिले रोगियों को जिला आरबीएम अस्पताल में भर्ती कर उपचार शुरू किया गया। 
 
पूरा मौहल्ला किया क्वारेंटाईन
बयाना के मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण के कोई लक्षण मौजूद नहीं थे। ऎसे में प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ गयी। तुरन्त कार्रवाई करते हुए बयाना के पूरे कसाईपाडा मौहल्ले को ही क्वारेंटाईन करने का निर्णय लिया गया, जिससे संक्रमण कस्बे के दूसरे क्षेत्रों में नहीं फैल सका। बयाना के 6 क्वारेंटाईन सेंटरों में 236 लोगों को रखा गया तथा 4 हजार 982 लोगों को सतर्कता बरतते हुए होम क्वारेंटाईन किया गया। प्रशासन की यह रणनीति काफी हद तक कारगर भी रही।
 
लगातार स्क्रीनिंग
संक्रमित क्षेत्र को पूरी तरह सील कर बयाना नगरपालिका क्षेत्र में महाकफ्र्यू लगा दिया गया और लोगों की स्क्रीनिंग एवं संदिग्धों के सैम्पल भेजने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया। नगरपालिका के सफाईकर्मी पूरे क्षेत्र का लगातार सैनेटाईजेशन करते रहे। संक्रमित क्षेत्र के 4 हजार निवासियों की अब तक 8 बार स्क्रीनिंग की जा चुकी है और 858 संदिग्धों के सैम्पलों की जांच करवायी गयी है। 
 
प्रभावी निगरानी
क्वारेंटाईन सेन्टरों में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी के साथ-साथ वहां रखे गये लोगों को मोबाईल फोन के माध्यम से सर्विलांस पर रखा गया और यह सुनिश्चित किया गया कि वे क्वारेंटाईन सेन्टर को किसी भी स्थिति में नहीं छोडें। आवश्यक होने पर सख्ती बरतते हुए नोटिस व पुलिस में मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई भी की गयी। क्वारेंटाईन सेन्टरों में पब्लिक ऎड्रेसिंग सिस्टम के माध्यम से लोगों को सुरक्षित दूरी बनाये रखने और स्वच्छता की जानकारी दी गयी। यह भी सुनिश्चित किया गया कि लोगों को समय पर चाय-नाश्ता एवं गुणवत्तापूर्ण भोजन मिले। क्वारेंटाईन सेन्टरों में रखे गये बच्चों के मनोरंजन के लिए ड्राईंग किट तथा खेलों की व्यवस्था की गयी। 

बयाना मेें कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभारी लगाये गये आरएएस अधिकारी आकाश रंजन का कहना है कि बयाना कस्बे में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव के लिए चलाया गया अभियान सफल सिद्ध हुआ है और चिकित्सकों, प्रशासन एवं पुलिस के समन्वय से प्रभावी तथा तत्काल की गयी कांटेक्ट ट्रेसिंग से यह सफलता सम्भव हो सकी है।
 
आरएएस अधिकारी श्री आकाश रंजन का कहना है कि बयाना में अब भी 2 क्वारेंटाईन सेन्टरों में 46 लोग निगरानी में हैं। 4 मई को 56, 6 मई को 137 लोग क्वारेंटाईन अवधि पूर्ण होने के बाद सकुशल अपने घर जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोेना वायरस संक्रमण की इस चुनौती से निपटने के यह लड़ाई अभी जारी है और यह महामारी बयाना में पुनः अपने पैर नहीं फैला सके इसके लिए हम हरपल सतर्क और जागरूक हैं। 

जयपुर | जिला प्रशासन को लॉकडाउन के कारण अपने घरों में रहने को मजबूर, रोज खाने कमाने वालों, श्रमिकों, माइग्रेन्ट्स व अन्य जरूरतमंदों के लिए दोनों समय के भोजन की चुनौती को पूरा करते हुए हुए बुधवार को डेढ माह पूरा हो गया। 23 मार्च को मात्र 1000-1200 फूड पैकेट्स के वितरण से प्रारम्भ हुआ यह सफर अब तक लाखों जरूरतमंदों को फूड पैकेट्स के वितरण के बाद भी अनवरत जारी है। मुख्यमंत्री के संकल्प ‘‘एक भी व्यक्ति भूखा नहीं सोए‘‘ से प्रेरित जिला प्रशासन, अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों एवं विभिन्न संस्थाओं के प्रयासों से शहर में जब तक लॉकडाउन के कारण एक भी व्यक्ति को भोजन की जरूरत है, यह सिलसिला अनवरत जारी रहेगा। 
 
जिला कलक्टर डॉ.जोगाराम ने बताया कि कोविड-19 और इससे जुड़ी चुनौतियां जिला प्रशासन के लिए भी नई थीं, इनमें चिकित्सकीय पहलू के साथ सबसे बड़ी चुनौती हर जरूरतमंद तक भोजन पहुंचाने की थी। पीडीएस और कच्ची राशन सामग्री वितरण के बावजूद तत्काल जरूरतमंदों की मांग का आकलन कर तैयार खाना पहुंचाना सबसे जरूरी और चुनौतीपूर्ण काम था। रोजाना इतनी बड़ी संख्या में फूड पैकेट्स का निर्माण, परिवहन और जरूरतमंद तक वितरण काफी श्रम एवं समय साध्य है। शुरूआत में सबसे पहले नगर निगम के 13 रैन बसेरा स्थलों एवं अक्षय पात्र द्वारा करीब 20 अक्षय कलेवा स्थलों पर तैयार खाने का वितरण प्रारम्भ किया गया लेकिन धीरे-धीेरे मांग बढने लगी। 
 
जिला कलक्टर ने बताया कि जब शहर में मांग तेजी से बढी तो नगर निगम जयपुर के आयुक्त श्री वी.पी.सिंह के निर्देशन में जयपुर स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट के सीईओ श्री लोकबन्धु एवं उनकी पूरी समर्पित टीम इसके लिए तैयार की गई, जिसकी जिम्मेदारी न सिर्फ भोजन का निर्माण और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वितरण कराना बल्कि पूरे तंत्र मे आने वाली हर समस्या का त्वरित समाधान करना था। खाने की गुणवत्ता और समयबद्धता पर भी इस टीम को पूरी निगरानी रखनी थी जिसे उन्होने बखूबी निभाया।
 
व्यवस्था के प्रारम्भ में अतिरिक्त जिला कलक्टर द्वितीय श्री पुरूषोत्तम शर्मा ने फूड निर्माण एवं वितरण का ढांचा तैयार किया एवं डीएसओ श्री कनिष्क सैनीे ने संस्थाओं से बात कर इस व्यवस्था में अहम योगदान दिया। जिला कलक्टे्रट कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष श्री अमित जैमन और महासचिव श्री प्रदीप सिंह राठौड़ के नेतृत्व में पूरी कर्मचारी यूनियन ने भी व्यवस्था को जमाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।  सिविल डिफेंस के उपनियंत्रक श्री जगदीश रावत के नेतृत्व में सिविल डिफेंस टीम ने भी पूरी व्यवस्था में अपनी जिम्मेदारी संभाल ली।

जिला कलक्टर ने बताया कि पूरे जयपुर शहर की मांग को पूरा करने का बडा लक्ष्य बिना समर्पित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के संभव नहीं था। तहसीलदार श्री नरेन्द्र कुमार जैन, तहसीलदार श्री बलबीर सिंह, स्मार्ट सिटी के अधिशाषी अभियंता श्री अजय कुमार सिन्धु इस पूरी व्यवस्था के प्रबन्धन की अहम कड़ी हैं।
 
जिला कलक्टर ने बताया कि जिला प्रशासन, स्मार्ट सिटी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, इंजीनियर्स, शिक्षा विभाग के अध्यापक, बूथ लेवल अधिकारी, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवक समेत 600 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी 23 मार्च से बिना एक भी दिन छुट्टी किए सुबह 7 बजे से रात के 11 बजे तक जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने के काम में लगे हैं ताकि शहर में एक भी व्यक्ति भूखा नहीं सोए। जब रामगंज एवं परकोटा क्षेत्र में कफ्र्यू लगा तो वहां संक्रमित क्षेत्रों में भी जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने का काम इन अधिकारी-कर्मचारियों ने पहले की तरह ही जारी रखा। आज भी परकोटा क्षेत्र में पहले की ही तरह फूड पैकेट्स वितरित किए जा रहे हैं। उन्होने बताया कि हर बार फूड वितरण के साथ कर्मचारियों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाने का भी ध्यान रखा जाता है। 
 
कन्ट्रोल रूम, वार रूम, सर्वे और विभिन्न ग्रुप से भी लगातार सूचना
 
स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री लोकबन्धु ने बताया कि शहर में किसे और कहां फूड पैकेट्स की जरूरत है, यह सूचना लगातार 24 घंटे जिला कलक्टे्रट के कन्ट्रोल रूम पर, वार रूम में, बूथ लेवल ऑफिसर्स द्वारा क्षेत्रीय सर्वे में, अधिकारियों-कर्मचारियों के मोबाइल पर, दूसरे राज्यों से, स्वयं जरूरतमंदों से लगातार मिलती रही है। इन सूचनाओं पर सतत निगरानी बनी रहती है और हर सूचना को उसके निस्तारण तक फॉलो किया जाता है क्योंकि यह किसी जरूरतमंद को भोजन प्रदान करने जैसे पुनीत कार्य से जुड़ी होती है।  यहां तक कि संभव होने पर सूचना देने वाले को भी भोजन वितरण की जानकारी दी जाती है। सूचना मिलते ही भोजन वितरण के लिए निर्धारित 53 फूड सेंटर्स में से निकटतम से जरूरतमंद को भोजन पहुंचाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। 
 
भोजन की गुणवत्ता को किया सुनिश्चित
 
श्री लोकबन्धु ने बताया कि लाखों की संख्या में फूड पैकेट्स का निर्माण एवं वितरण होने के कारण भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी था। इसके लिए लगातार बड़ी भोजनशालाओं में निरीक्षण एवं सैम्पलिंग की गई। अधिकारियों की टीम ने कई बार कार्यक्षेत्र में वही भोजन स्वयं भी ग्रहण किया। यहां तक कि भोजन के निर्माण के लिए भी एगमार्क मानक की ही सामग्री उपयोग ली गई जैसे आटा, तेल, मसाले आदि। विभन्न स्तरों पर समय-समय पर यह परीक्षण भी जारी है।
 
प्रवासियों, यात्रियों, अस्पतालों के लिए भोजन व्यवस्था
 
स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री लोकबन्धु ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा शहर में जरूरतमंदों के लिए भोजन व्यवस्था के साथ ही साथ दूसरे राज्यों से रेल द्वारा यहां पहुंचे हजारों लोगों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की गई जिन्हें बसों द्वारा तीस से अधिक जिलोंं में भेजा गया है। इसी तरह यूपी और अन्य राज्यों को जाने वाली सैकड़ों बसों के यात्रियों को भी रास्ते के लिए भोजन उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा कई अस्पतालों, फील्ड वर्कर्स, कुछ श्रमिक कैम्प व जरूरत के अनुसार अलग-अलग जगह से मांग आने पर भोजन की आपूर्ति की गई। 
 
बनाए रखा संस्थाओं का उत्साह
 
शुरू में जिला प्रशासन के अलावा भी कई स्वयंसेवी संस्थाएं मुख्यमंत्री की अपील से प्रेरित होकर और प्रदेश की परम्परा के अनुरूप अपने स्तर पर जरूरतमंदों को भोजन प्रदान करने में जुट गईं। लेकिन प्रयासों के दोहराव के कारण जिला प्रशासन के आग्रह पर इनमें से कई संस्थाएं प्रशासन के वितरण तंत्र में शामिल हो गईर्ं। इन संस्थाओं की राशन, वाहन पास, कार्मिक पास, ईंधन जैसी कई समस्याओं को जिला प्रशासन द्वारा दूर किया गया एवं इस महत्वपूर्ण कार्य में उनका उत्साह बनाए रखा गया। इसी समन्वित प्रयास के कारण लगभग 150 संस्था जिनमें एनजीओ, स्वयंसेवी संस्थाएं यथा राधास्वामी सत्संग न्यास, जैन रसोई, अक्षय पात्र, जैन तेरापंथी, कुहाड़ ट्रस्ट, हीरावाला इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन, सीतापुरा इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन  आदि संस्थाओं ने अपनी सक्रिय भागीदारी बनाए रखी है।
 
एप से निगरानी, अचानक आई मांग को भी किया पूरा
 
जयपुर जैसे महानगर में कई बार पूर्व निर्धारित और कई बार अचानक फूड पैकेट्स की मांग और आपूर्ति एक बड़ा काम है। इसे व्यवस्थित करने के लिए तकनीक का भी उपयोग किया गया। भोजन बनने से वितरण तक के कार्य की एप के माध्यम से निगरानी की गई। श्री लोकबन्धु ने बताया कि कई बार फूड पैकेट्स की मांग अचानक और भोजन वितरण के सामान्य समय से अलग समय पर प्राप्त हुई तब एप के जरिए प्रबन्धन कर निकटतम स्थान से जरूरतमंदों को पैकेट्स भिजवाए गए।
 
विशेष लेख हर जरूरतमंद को भोजन के लिए संकल्पित जिला प्रशासन छह सौ से अधिक अधिकारी-कर्मचारी बिना अवकाश डेढ़ माह से  रोजाना 14 घंटे से अधिक फील्ड में रहकर कर रहे व्यवस्था

E-Maruwani

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