Har din kuch naya sikhe

                   बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी उपखंड क्षेत्र मे आज से एक साल पूर्व 2019 को रतनपुरा गांव में एक लीला देवी का चमत्कारिक रहस्यमय "अचानक घर से गायब हो जाना" इस मालाणी क्षेत्र में चमत्कार की लहर दौड़ गई, परिवार के साथ जनप्रतिनिधि शिक्षित लोग गांव का मुख्या सरपंच और साधु संतो तक ने आधुनिक भारत के वैज्ञानिक युग में भी एक चमत्कार का नाम देकर हर इंसान को हक्का बक्का सोचने को मजबूर कर दिया। क्योंकि धर्म का सहारा लेकर यदि कोई कुछ भी काम कर भी ले तो आस्था और श्रद्धा के नाम पर कानून के भी हाथ बंधे रह जाते है। मजहब के नाम पर कितना भी बडा धंधा हो लेकिन आस्था का नाम देकर उसको चमत्कार का रूप दिया जाता है ताकि मजहब के नाम पर लोग अंधविश्वास व अंधभक्ती बरकरार रह सके। 
                   आज इस लीला की लीला को एक वर्ष पूर्ण होने के बाद भी लोग खुलकर कहने की हिम्मत आज भी नही जुटा पा रहे कि यह एक चमत्कार न हो धर्म की आड़ में एक सोची समझी प्रेम की कहानी थी। क्योंकि पहले से शादीशुदा नारी लम्बे समय से मां बाप के साथ रहना हरगिज मुश्किल होता है। महिला का किसी के साथ प्रेम संबंध होना फिर कानूनी रूप से शादी के बंधन में बंध जने की घटना को एक आस्था का सहारा लेकर अंजाम दिया गया ताकि सामाजिक स्तर सहित हर आमजन एक रहस्य चमत्कार ही माना जाये। 
 वास्तव में ऐसे चमत्कार इस कलयुग में बहुत कम होते हैं क्योंकि धर्मशास्त्रों के वर्णन अनुसार धरती पर जब जब पाप बढा हो तो आदि काल से ऐसे चमत्कारिक घटनाओं का उल्लेख मिलता है लेकिन आज विज्ञान व शिक्षा आने के कारण चमत्कार की घटनाओं की नसबंदी हो गई। अन्यथा आज भी हर रोज ऐसे चमत्कार होते रहते। 
                   एक वर्ष बितने के कालांतर में इस घटना पर बहुत ही अधिक रहस्य गहराया, पुलिस से लेकर प्रशासन व उच्च न्यायालय तक मामला गया और प्रशासन ने जांच पड़ताल करते हुए आखिर चमत्कार से पर्दा उठाते हुए वास्तविकता पेश की,अन्यथा आज पहली वर्षगांठ पर लीला देवी का भव्य मंदिर होता और आज पहली वरसी (वर्षगांठ) पर रात्रि जागरण और दिन भरा मेले मे श्रध्दालुओं की लम्बी लम्बी कतारें की भीड़ गवाह होती। लेकिन प्रशासन व जागरूक लोगों इस घटना का पर्दाफाश कर चमत्कार को अंधविश्वास मे बदल दिया गया। 
                   यह चमत्कार नही एक रणनीति के तहत लीला देवी सोची समझी साजिश के तहत यहां से भागकर गुजरात किसी पुरुष के साथ कानूनी रूप से शादी के पवित्र बंधन में बंध गयी। और पूर्व पति द्वारा शायद आज भी उच्च न्यायालय मे मामला विचाराधीन है। 
                   इस घटना घटित होने पर साधु संतो व गांव के मुखिया सरपंच व परिवारजनों ने तक सभी ने कहा कि यह लीला का चमत्कारिक घटना है और अलौकिक शक्ति बनकर एक त्रिशूल मे विलीन हो गई है। सैकड़ों लोगों ने नारियल अगरबत्ती के साथ पूजा-अर्चना कर आने वाले भक्तों ने बडी श्रद्धा के साथ भभूती का माथे पर तिलक लगाया था और प्रसादी भोग लगाने हुए दान के रूपये मे हजारों लाखों रुपये दिये थे गायब होने वाली जगह पर आने वाले दूर दूर से श्रद्धालु दान पात्र में 50-100-200-500 तक की अमानत लीला देवी के चमत्कार को भेट करने के साथ चमत्कारिक सिंदूर का ललाट पर तिलक लगाते हुए पुण्य प्राप्त कर रहे थे। 
                   ऐसा घटना के नाम पर क्या हमारे धर्म की हानि नही होती जो धर्म का सहारा लेकर पवित्र धर्म व आस्था के साथ खेल खैलतै है। और हजारों लाखों लोगों की मुर्ख बनाते हैं। ऐसी तमाम घटनाये इस बात की पुष्टि व गवाह देती है कि लोग धर्म व मज़हब की ओट मे कुकृत्य बलात्कार तक के कार्य करतै है फिर भी हम महान मानते हुए कानून से ऊपर आस्था के नाम पर लकीर के फकीर चलते रहतै है। चाहे आसाराम हो या राम रहीम या रामपाल या शनिदेव बाबा या फिर मठाधीश जो आश्रमों मे रह कर धर्म की ओट मे घिनौना कार्यो को अंजाम देतै है न्यायालय की सजा के बाद फिर भी हम मौन है। 
                   इस जगत का सबसे पवित्र भगवा रंग है जो उगते हुए सूर्य के प्रकाश का प्रतीक है सत्य का प्रतीक है धर्म का प्रतीक है लेकिन इस रंग के चोला ओढे लोग आमजन की आंखों पर आस्था व श्रद्धा की पट्टी बांधकर क्या क्या कारनामे करतै है। वो हम देख तक नहीं सकतै यदि देखतै है तो आवाज तक नहीं उठा सकते फिर धर्म का हनन कौन कर रहा है। 
गलत काम करने वाले या फिर गलत काम से पर्दा उठाते हुए वास्तविकता पेश करने वाले!
यह फैसला आप पर है?? 
                   हमने तो हजारों वर्षों से यही सुना था कि मीरा बाई भगवान की समाधि में समा गई, बाबा रामदेव ने भरी जवानी में समाधि ले ली। सीता का पुत्र कुछ घास से पैदा हुआ,राजा करण कान से पैदा हुआ, क्या ऐसा हुआ था .!! लेकिन आज 21 वीं सदी में हमारे मारवाड़ क्षेत्र में मालाणी की धरा पर रतनपूरा गांव में आज ही के दिन 2019 मे लीला ने चमत्कारिक अपनी लीला बताते हुए,भगवान की मुर्ति मे समा गई। यदि यह कमाल लीला ने नही किया होता तो आज की युवा पीढ़ी शायद विश्वास ही नहीं करती रामदेव व मीराबाई पर लेकिन धन्य हो लीला को जिन्होंने आज कलयुग में करिश्मा कर दिखाया।
                   वैसे हमारे देश का इतिहास रहा है समय समय पर चमत्कार बताने का, आज पहले तो सब चमत्कार ही होते थे सब के सब कान नाक मुंह, भुजा से बच्चे पैदा होते थे और फिर किसी जानवरों या पत्थरों की मुर्तियां मे समाकर,भगवान को प्यारे लेकिन अब शिक्षा व विज्ञान आने के कारण कुछ कम हो गये हैं कभी कभार कोई चमत्कार होता है।
                   यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज हम धर्म के नाम पर पांखड व अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। इसलिए धर्म की आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ हो रहा है। जिससे हजारों करोड़ों लोगों की आस्था व श्रद्धा विश्वास पर धोखा होगा और ठेस पहुंचेगी। आज दिन तक इस जगत में कोई प्रमाणित साक्ष्य के साथ ऐसा चमत्कार नहीं हुआ है और न कभी होगा फिर भी लाखों करोड़ों लोग मानतै है कि कोई अपने आप इस विशाल शरीर को अलोप कर पाया हो सिर्फ अंधभक्ती के नाम पर अंधविश्वास चला आ रहा है। या फिर वास्तविक और सत्य कि एक लीला की अपरम्पार लीला हो गयी। 
                   सभी युवाओं से विशेष निवेदन है कि आप विज्ञान व तकनीकी शिक्षा मे आगे बढते हुए जागरूक बने, ताकि देश का भविष्य उज्जवल हो आज से एक साल पूर्व आज ही के दिन सुरत गुजरात में एक बच्चो की एकेडमी मे आग लगने से कई दर्जन बच्चे आग की भेट चढ़ गयै थे। बहुत ही दुखद बात है कि हर ग्राम में मंदिर मिल जायेगे लेकिन विधालय नही, अस्पताल नही, अग्निशमन यान नही, मृत लोगों की अरबों डॉलर की बड़ी बड़ी मुर्तियां जरूर है कि लेकिन 20-30 फुट की सीढ़ी नही,अस्पतालों में आक्सीजन गैस नही,आमजन किसान मजदूर वर्ग पेट की भूख के आगे बेबस मर रहा है। फिर इससे बडा हमारा मॉडल विश्व के सामने क्या हो सकता है..। क्योंकि हम अध्यात्मिक विश्व गुरु है इस दुनिया को अध्यात्मिक ज्ञान का ताज हमारे पास है। लेकिन समय के साथ धूमिल होता जा रहा है। 
                   जब तक हम धर्म के नाम पर धंधा अंधविश्वास बुराईया नही मिटाते तब तक धर्म को सुरक्षित रखना मुश्किल है। धर्म से प्रेम मोहब्बत का उदय होता है वही से मानवता का जन्म.!
इस विश्व व्यापी कोरोना आपदा से निपटते हुए मानवता का संदेश देना है 
मानव के जीवन की सारस्वत कला ही धर्म है जो सदा से अटल सत्य है। 
सत्य ही परमात्मा है परमात्मा ही प्रकृति है। हम सब को मिलकर धर्म की रक्षा करनी है तभी हम विज्ञान को सुरक्षित रख पायेगे। धर्म के बिना विज्ञान अधूरा है विज्ञान के बिना धर्म !! 
चलते चलते आज एक साल पूर्ण होने पर फिर लीला की लीला  न रह कर एक अंधविश्वास की घटना साबित हो गई। 

सत्य मेव जयते ✍️✍️🙏

अमराराम बोस✒✒(मानव शरीर दानदाता) 
स्वतंत्र पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता
 धांधलावास गुङामालानी

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मरूवाणी न्यूज़ नेटवर्क

E-Maruwani

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