Har din kuch naya sikhe


वो मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो।
माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।।

जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था।
जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।।

वो छोटी सी बच्ची थी, ढंग से बोल ना पाती थी।
देख के जिसकी मासूमियत, उदासी मुस्कान बन जाती थी।।

जिसने जीवन के केवल, छह बसंत ही देख़े थे।
उसपे ये अन्याय हुआ, ये कैसे विधि के लिखे थे।।

एक छह साल की बच्ची पे, ये कैसा अत्याचार हुआ।
एक बच्ची को बचा सके ना, कैसा मुल्क लाचार हुआ।।

उस बच्ची पे जुल्म हुआ, वो कितनी रोई होगी।
मेरा कलेजा फट जाता है,तो माँ कैसे सोयी होगी।।
 

जिस मासूम को देखके मन में, प्यार उमड़ के आता है।
देख उसी को मन में कुछ के, हैवान उत्तर क्यों आता है।।

कपड़ो के कारण होते रेप, जो कहे उन्हें बतलाऊ मैं।
आखिर छह साल की बच्ची को, साड़ी कैसे पहनाऊँ मैं।।

गर अब भी हम ना सुधरे तो, एक दिन ऐसा आएगा।
इस देश को बेटी देने में, भगवान भी जब घबराएगा।। 

आपकी रचनात्मकता को मरु वाणी काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए हमें emaruwani.news@blogger.com पर ईमेल करें।

एक टिप्पणी भेजें

ऊपर दी गई जानकारी के बारे में आप क्या सोचते हैं, टिप्पणी करके हमे जरूर बताएं।

मरूवाणी न्यूज़ नेटवर्क

E-Maruwani

{picture#https://1.bp.blogspot.com/-g3gBMdDs4ao/Xgo2EgPt2LI/AAAAAAAACy8/mphOhpKBAiIC5-6zPUe9xStOu9Da3WdvQCNcBGAsYHQ/s1600/Author.png} Indian Youtuber and Young Bloggers. {facebook#Yhttp://fb.com/ranaram.bhatia.5} {twitter#http://twitter.com/ranarambhatiya} {google#http://google.co.in/search/ranarambhatiya} {youtube#http://youtube.com/ranarambhatiya} {instagram#http://instagram.com/ranarambhatiya}
Blogger द्वारा संचालित.